Wednesday, 7 August 2013

Bharat Ka Nirman

                                              अनेकता में ऐक्य मंत्र को,
                                               जन-जन फिर अपनाता है।
                                                  धीरे-धीरे देश हमारा,
                                                   आगे बढता जाता है।
इस धरती को स्वर्ग बनाया,
ॠषियों ने देकर बलिदान॥
उन्हीं के वंशज आज चले फिर,
करने को इसका निर्माण।
कर्म पंथ पर आज सभी को गीता ग्यान बुलाता है॥1॥
धीरे-धीरे देश हमारा, आगे बढता जाता है।
जाति, प्रान्त और वर्ग भेद के,
भ्रम को दूर भगाना है।
भूख, बीमारी और बेकारी, इनको आज मिटाना है।
एक देश का भाव जगा दें, सबकी भारत माता है॥2॥
धीरे-धीरे देश हमारा,  आगे बढता जाता है।
हमें किसी से बैर नहीं है,
हमें किसी से भीति नहीं।
सभी से मिलकर काम करेंगे,
संगठना की रीति यही।
नील गगन पर भगवा ध्वज यह, लहर लहर लहराता है॥3॥
धीरे-धीरे देश हमारा,
   आगे बढता जाता है।

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